आम बजट के बाद यह साफ हो गया है कि भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी को देश में बैन नहीं करने जा रही है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2022 में एलान किया है कि क्रिप्टोकरंसी से होने वाली कमाई पर 30 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा. खास बात है कि सेंट्रल बैंक यानी रिजर्व बैंक (RBI) भी अपनी डिजिटल करंसी जल्द ही लॉन्च करने जा रही है।
बजट 2022 में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर लंबे समय से चल रही अनिश्चितता दूर हुई है. वित्त मंत्री ने क्रिप्टोकरेंसी पर पर बड़ा एलान करते हुए स्पष्टता दी है
क्रिप्टोकरेंसी और अन्य आभासी डिजिटल संपत्तियों VDA (Virtual Digital Assets) पर आयकर नियम 1 अप्रैल 2022 यानी FY 2022-23 से लागू होंगे। इस क्रिप्टो में बहुत सारे तार जुड़े हुए हैं और इससे जटिलताएं बढ़ गई हैं। आइए अब क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित कराधान को विस्तार से समझते हैं।
अबतक क्रिप्टोकरंसी पर किसी तरह का टैक्स नहीं देना होता था. इसी वजह से इसे लेकर एक अनिश्चितता थी कि यह देश में निवेश के लिए जारी रहेगी या इस पर बैन लगेगा.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक बात और साफ की है कि जहां क्रिप्टोकरंसी पर होने वाली आय पर टैक्स लगेगा, वहीं अगर इस पर घाटा हुआ तो भी टैक्स देना होगा. क्रिप्टोकरेंसी ही नहीं किसी भी वर्चुअल एसेट्स के ट्रांसफर पर होने वाली आय पर 30 फीसदी का टैक्स लगेगा. वहीं एक निश्चित सीमा से अधिक के ट्रांजेक्शन पर टीडीएस भी लगाने का एलान किया गया है. फिलहाल इस कदम से यह तय है कि सरकार क्रिप्टोकरंसी पर किसी तरह का बैन नहीं लगाने जा रही है. लेकिन इससे होने वाली आय पर भारी भरकम टैक्स लगा दिया गया है. सरकार के इस कदम से क्रिप्टोकरंसी में निवेश को लेकर ट्रांसपेरेंसी बढ़ेगी.
निवेश के लिए नया एसेट क्लास
अब ट्रेडर्स इस एसेट क्लास में बिना किसी डर के ट्रेड कर सकते हैं. बजट ने क्रिप्टो करेंसी ट्रेडिंग पर कानूनी अनिश्चितता को दूर कर दिया है. क्रिप्टो में लोग ट्रेड कर सकते हैं लेकिन उन्हें टैक्स देना होगा. हालांकि यह देखा जाना है कि अगर कॉर्पोरेट क्रिप्टो में ट्रेड करते हैं, तो कॉर्पोरेट टैक्स लागू होता है या 30 फीसदी टैक्स या जो भी अधिक हो.
जल्द आएगी देश की पहली डिजिटल करंसी
2023 तक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अपनी डिजिटल करेंसी को अलग से लॉन्च करेगा जो बाकी मुद्राओं की तुलना में अधिक सुरक्षित और स्थिर होगी. आसान भाषा में कहें रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया कागजी करेंसी छापता है, ठीक उसी तरह उसकी सील वाली डिजिटल करेंसी भी आएगी, जिससे लोग उसमें निवेश कर सकेंगे
क्या है Crypto Currency पर टैक्स का फॉर्मूला?
डिजिटल करेंसी के हर एक ट्रांजेक्शन (Transaction) (एक सीमा से अधिक) पर सरकार को अलग से एक फीसदी टीडीएस (TDS) देना होगा.
अगर किसी शख्स ने डिजिटल मुद्रा में निवेश किया है तो यह निवेश उसकी संपत्ति है.
अब अगर यह शख्स इस संपत्ति को किसी और को ट्रांसफर करता है तो उसे उस संपत्ति की कुल लागत पर एक प्रतिशत की दर से अलग से टीडीएस देना होगा.
TDS का मतलब सोर्स पर टैक्स कटौती है. यानी वह कर जो किसी सोर्स पर लगाया जाता है.

CryptoCurrency से आय को उसी हेड के हानि से सेट ऑफ किया जा सकता है। अर्थात किसी अन्य हेड की आय के साथ Adjust नहीं किया जा सकता है।
साथ ही यदि किसी वित्तीय वर्ष में CryptoCurrency से आय नकारात्मक हैं तो उसे Carry Forward भी नहीं किया जा सकता है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी डीसेंट्रलाइज्ड होती है, इसलिए सेंट्रल बैंकों के पास अर्थव्यवस्था में मनी सप्लाई को कंट्रोल करने उनकी सबसे जरूरी कार्यक्षमताओं नहीं होगी।
क्रिप्टोकरेंसी के तेजी पॉपुलर होने की एक वजह ये भी थी इसपर कोई टैक्स नहीं लगता था. अब जब इस पर हैवी टैक्स का ऐलान कर दिया गया तब छोटे निवेशक इसमें निवेश करेंगे या नहीं देखने वाली बात होगी.
इसके अलावा सरकार की अपनी डिजिटल करेंसी जारी होने का मतलब है सरकार प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी में निवेश को कम करवाना चाहती है. अब ऐसे में छोटे निवेशक जो क्रिप्टो में पैसे लगाकर प्रॉफिट कमाना चाहते हैं वो इससे बचते हुए नजर आएंगे
उपहार में दिए गए Digital Assets पर Taxation
सरकार क्रिप्टोकरंसी में कर चोरी के संबंध में हर संभव लूप होल को कवर करने की कोशिश कर रही है, इसलिए उन्होंने प्राप्तकर्ता के हाथों में क्रिप्टो गिफ्टिंग को कर योग्य बना दिया है।
उदाहरण
18 लाख रुपये के वेतन वाले व्यक्ति पर विचार करें,
6 लाख रुपये के बिटकॉइन पर लाभ और
2 लाख रुपये के लाइटकोइन पर नुकसान
वह नुकसान घटा सकता है, और क्रिप्टो एसेट्स (बिटकॉइन और लाइटकोइन दोनों) की बिक्री से शुद्ध लाभ 4 लाख रुपये होगा।
31.2 प्रतिशत की प्रभावी कर दर के लिए 4 लाख पर 30%, साथ ही किसी भी लागू अधिभार (इस मामले में शून्य) और उपकर (1.2 प्रतिशत, या 30% कर का 4%) पर कर लगाया जाएगा।
18 लाख रुपये की उनकी वेतन आय पर लागू होने वाले आयकर स्लैब और दर को उस कर व्यवस्था द्वारा निर्धारित किया जाएगा जिसे उन्होंने वित्तीय वर्ष के दौरान चुना था।